Saturday, August 15, 2009

62 साल का बूढ़ा इंडिया

ये इंडिया भी अजीब है
आज इसका 62 वां जन्मदिन है
फिर भी देखने से बिल्कुल बच्चे जैसा लगता है
कई चोटें दीं लोगों ने इसको लेकिन किसी को पलटकर कभी नहीं मारता है।


ये इंडिया भी अजीब है
कोई खादी पहने मंत्री कभी तिरंगे को उल्टा टांग देता है
कोई मदरसा कभी वंदे मातरम् गाने पर फतवा जारी कर देता है
आधे से ज्यादा लोगों को वंदे मातरम् और जन गन मन में फर्क नहीं पता है।

ये इंडिया भी अजीब है
कभी सालों पहले हुए संसद पर हमले के आरोपी की फांसी की सजा टाल दी जाती है
कभी दस आतंकी सरहद पार से आते हैं और सीना छलनी कर जाते हैं
और देश चलाने वाले नेता ये कह देते हैं कि बड़े बड़े शहरों में छोटी मोटी वारदातें होती रहती हैं।

ये इंडिया भी अजीब है
कभी बिल्किस की चीख किसी को सुनाई नहीं देती
तो कभी गोधरा में खड़ी ट्रेन में खुद से ही आग लग जाती और 59 मर जाते हैं
कभी "नोबडी किल्ड जेसिका" अख़बारों की हेडलाईन बन जाती है।

ये इंडिया भी अजीब है
दिल्ली में मेट्रो बन जाती है तो हम बड़े खुश हो जाते हैं
कभी लगता है कि देश वाकई तरक्की कर रहा है
लेकिन एक विदेशी अपने ही देश में आकर स्लडॉग मिलियनेयर बनाकर हमें आईना दिखा जाता है।
वाकई ये इंडिया भी अजीब है।

जय हिन्द

5 comments:

  1. सौ में 99 बेईमान फिर भी मेरा भारत महान

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  2. bahut accha ...sach likha tumne ये इंडिया भी अजीब है...

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  3. Maafi Chahunga shrimaan Shyam sahab par apke is kathan pe sehmat nahi hoon. haala ke apne sab kuch satya hi bakhaan kara hai is mein ek sabd bhi jhoot nahi hai lekin mujhe iska title thoda atpata laga mere khayal se ajeeb India nahi hai ajeeb hai yahan ke log. yeh log jo India ko apna desh kehte hai par apna ghar nahi samajhte. jab tak hum sare desh wasi ek pariwaar ki tarah ek jut hokar dekh ki apne ghar ki tarah dekh bhal nahi karenge tab tak mere pyaaren Bharat ko yeh sab yatnaye jhelni padengi. Agar yeh India ajeeb hai to iske zimmedar kaun hain hum sab hi na. Hamen zaroorat hai hath se hat mila ek jut hokar Bharat ke nav nirman ki Nayi tasveer banane ki. Mere anusar Hum Indians Bhi Ajeeb Hain

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  4. मुशर्रफ जी आपका कहना सही है। लेकिन ये देश हम आप जैसे लोगों से ही मिलकर बना है। हम अजीब हैं तभी तो इंडिया अजीब है।

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  5. दोनो ही अजीब हैं भाई... इंडिया भी इन्डियन भी... लेकिन इससे बड़ी अजीब बात है कि ये अजीबियत अब भी कायम है... पता नहीं वो वक्त कब आयेगा जब लोग घरों से निकलकर इस अजीबियत को हमेशा हमेशा के लिए खत्म करने का तय कर लेगें... नहीं मानेंगे मेट्रो ट्रेन, इंसाफ और पुलिस के लालीपापों से... जेब से जाते करोड़ों रुपए का जवाब मांगेगें जिसे सुरक्षा के नाम पर वसूला जाता है... शायद ऐसा जिस दिन हो गया उस दिन न कोई भूखा सोयेगा और न आंतकवादी किसी का सीना छलनी करने का सोच भी सकेंगे...।
    www.nayikalam.blogspot.com

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