Friday, July 31, 2009

लव आज कल

भारत, एक ऐसी जगह जहां लोग तेजी से आधुनिकता की ओर बढ़ रहे हैं.पीढ़ियों के बीच का अंतराल ख़त्म होता जा रहा है.हर तरफ मॉर्डनाइज़ेशन की दौड़ है.हर शहर में आपको ये दौड़ देखने को मिल जाएगी.लेकिन इस आधुनिकता के पीछे छुपी है एक ऐसी हकीकत जिसे हम स्वीकार करने से कतराते हैं.ये हकीकत है हमारी मध्ययुगीन सोच की.जहां आज महनगरों में लोग लिव-इन में रह रहे हैं वहीं कई इलाकों में लव मैरिज करने वालों को गोली मारी जा रही है.कई लोगों को तो फांसी पर लटका दिया गया.एक प्राइवेट न्यूज़ चैनल के सर्वे ने खुलासा किया कि भारत में हर साल आतंकवाद से ज्यादा लोग इश्क के लिये शहीद हो जाते हैं.जी हां ये तथ्य चौकाने वाले थे.लेकिन दुर्भाग्य ये सच थे.दरसल भारत मध्ययुगीनता और आधुनिकता के ऐसे घातक दौर से गुज़र रहा है जहां एक ही तरह का बर्ताव किसी जगह पर मान्य है तो कहीं पर उसी बर्ताव के लिये लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ता है.हाल में ही मेरे चैनल के स्टूडियो में हरियाणा की एक लड़की आई थी, पता चला कि उसने प्रेम विवाह किया था,लेकिन उसके शौहर को गांव की भीड़ ने मार डाला क्योंकि उन दोनों ने एक ही गोत्र में शादी की थी.अब इसे एक विड़बना ही कहा जाए कि हम अपने पड़ोस के एक मुल्क अफगानिस्तान को इतना कोसते हैं कि किसी भी अमानवीय हरकत को तालिबानी हरकत कहते हैं लेकिन हमने कभी अपने गिरेहबान में झांकना मुनासिब नहीं समझा.अगर वो तालिबान हैं तो फिर यहां क्या हो रहा है.अपने लिये जीवनसाथी चुनना हर इंसान का मौलिक अधिकार होता है.दूसरे मुल्क या परंपरा पर उंगली उठाना बहुत ही आसान होता है.और तो और हमारे कथित धर्मात्मा इसे व्यभिचार तक का दर्जा दे देते हैं.लेकिन वाकई यहां कुछ नहीं बदल रहा.जब पुलिस के सामने ही एक नवविवाहिता ने अपने पति का कत्ल होते हुए देखा तो कानून को अंधा कहने में कोई बुराई नहीं है.कथा का अंत इस बात से कहना चाहुंगा बर्बाद गुलिस्तां करने को बस एक ही उल्लू काफी था,हर शाख पे उल्लू बैठे हैं अंजाम ए गुलिस्तां क्या होगा.

Tuesday, July 21, 2009

तलवा चाटू विदेश नीति

दिल्ली के इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर एक टुच्चे से अमेरिकी एयरलाइंस के सुरक्षा अधिकारियों ने भारत के पूर्व प्रथम पुरुष(राष्ट्रपति) और मिसाइल मैन ए.पी.जे अब्दुल कलाम की तलाशी ले ली और उनके जूते भी उतरवा दिये।बदले में संबंधित विभाग के मंत्री ने विपक्ष के लगातार हो रहे हमलों से बचने के लिये उस एयरलाइंस को नोटिस भी भेज दिया। लेकिन एयर लाइंस की हिम्मत तो देखिये, तपाक से जवाब आया कि अमेरिका के कानून में किसी भी व्यक्ति को बोर्डिंग से पहले इस तरह की छूट नहीं दी जाती है, और उन्होंने उसी अनुसार काम किया। कमाल तो ये है कि ये पहली बार नहीं हो रहा। इससे पहले की घटनाएं आपको याद दिला दूं,
जॉर्ज फर्नाडिज़ जो कि तत्कालीन रक्षा मंत्री थे, अमेरिका में सुरक्षा जांच के नाम पर तो उनके कपड़े ही उतरवा लिये।
यही नहीं सोमनाथ चैटर्जी (पूर्व लोकसभा स्पीकर) के साथ एक ऑस्ट्रेलियन एयर लाइंस ने भी ऐसा ही किया,
एक बार जब बुश भारत के दौरे पर थे तो उसके पर्सनल गार्ड्स ने महात्मा गांधी की समाधि की खोजी कुत्तों से तलाशी ली।
लेकिन लानत है हमारे नेताओं पर ऐसी घटना के बाद भी कोई ऐसी कारवाई नहीं जिससे एक आम भारतीय के दिल में लगी आग बुझा सकें। आखिर ये कैसी फॉरेन पॉलिसी है जिसमें सिर्फ शक्तिशाली देशों के तलवे चाटने का काम होता है। देश का स्वाभिमान कहां गया, शायद वाजपेयी जी के साथ ही बूढ़ा हो गया। जब भी इस तरह की कोई घटना होती है संसद में हंगामा होना तो तय है। विपक्ष के हाथ में मुद्दा मिलता है तो हंगामा होना लाज़िमी है। विपक्ष में बैठी हर पार्टी सबसे बड़ी देश प्रेमी पार्टी नज़र आती है।लेकिन जब कभी दूसरों को जवाब देने का मौका आता है तो सब के सब इसी बिना रीढ़ की फॉरेन पॉलिसी से बंध जाते हैं।
कारगिल में पाकिस्तानी सेना ने आतंकियों के साथ मिलकर घुसपैठ की,तो भारतीय सेना ने तमाम बलिदानों के बाद ऊंचे शिखरों पर विजय प्राप्त कर ली। कारगिल में जब हमारे जवानों ने अपनी चोटियों पर कब्ज़ा कर लिया तब घुसपैठिये भागने लगे। लेकिन सेना ने अपनी आंखों के सामने से उन्हें जाने दिया क्योंकि उनपर गोली चलाने के लिये सरकार ने आदेश नहीं दिये थे। कमाल है ये नेता आखिर किस मिट्टी के बने हैं। आखिर ये कैसी बिना रीढ़ की फॉरेन पॉलिसी है?